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Wednesday, August 26, 2020

 

अनूदित अंग्रेजी कहानी

मंगलमूर्त्ति     

जोए की दीदी  

जोए अपनी बरसाती की सीढ़ियों पर बैठा था | उसके हाथों में बेसबॉल खिलाडियों की तस्वीरों की एक छोटी सी गड्डी थी | वह बड़े ध्यान और गर्व से उन तस्वीरों को देखने में मशगूल था, और कुछ सोचते हुए उन्हें एक-दूसरे में फेंट रहा था | जोए अभी दस साल का रहा होगा | उसकी नज़र में बेसबॉल खिलाड़ियों से ज्यादा शानदार और अहमियत वाले लोग दुनिया में और कोई नहीं होते होंगे |

-       क्या हो रह है जोए? – सामने की खिड़की से उसकी माँ ने झाँक कर पुकारा |

-       कुछ नहीं ! – तस्वीरों पर आँख गडाए ही जोए बोला |

-       तो जाओ देखो तुम्हारी दीदी कहाँ है | उसको बुला लाओ | - माँ ने जोर से कहा |

-       हन्ना दीदी ?

-       और कौन सी दीदी है तेरी?

-       मुझे क्या मालूम | - जोए ने अन्यमनस्क-सा उत्तर दिया |

-       अब रख उन तस्वीरों को, और जा दौड़ कर बुला ला उसे | - माँ ने लगभग डांटते हुए कहा |

जोए ने घूम कर माँ की और देखा और मुंह बना लिया | बेसबॉल खिलाड़ियों के अपने उस स्वप्न-जगत से अपने को जबरन खींच कर बाहर लाने में उसको थोडा समय लगा | धीरे-धीरे चल कर वह माँ के पास गया |

-       क्या माँ ?

-       जा देख, हन्ना कहाँ है |

-       क्या हुआ ?

-       हुआ यही कि शाम हो चली | खाने का वक़्त हो गया है | पापा तुम्हारे भी आते ही होंगे, और उनके आने से पहले उसको यहाँ होना चाहिए |

जोए ने झुंझलाहट में बेस बॉल खिलाड़ियों की तस्वीरों की गड्डी को जैसे-तैसे अपनी पतलून की जेब में ठूंसा जिससे उसकी जेब भी चौकोर फूल गई |

-       और साथ ही आ जाना तू भी, जैसे वो मिले | अब अँधेरा हो गया है | - माँ ने जोर देकर कहा |

सूरज तो कब का डूब चुका था, और अँधेरा घना होता जा रहा था | जोए धीरे-धीरे एक-एक कर सीढ़ियों से नीचे उतरा और बेमन का एक-एक कदम चलते हुए हन्ना को ढूढने चला | उसके पतलून की जेब बेस बॉल खिलाड़ियों की तस्वीरों की गड्डी से अब भी फूली लग रही थी |

-       अरे, अब दौड़ कर जा न ! – माँ ने फिर कहा |                                              

अनजाने ही जोए की चाल तेज़ ही गई, जैसे किसीने पीछे से धक्का दिया हो | उस कतार के सारे मकानों को पार करके कोने से वह दूसरी ओर मुड गया, लेकिन जल्दी ही यह बात उसके दिमाग से बिल्कुल उतर गई कि वह अपनी बहन हन्ना को ढूँढने निकला था | तभी एक मकान के सामने उसके कुछ दोस्त बैठे मिल गए | बस जोए वहीँ बैठकर उन सबों की तस्वीरों से अपनी गड्डी की तस्वीरों को मिलाने-बदलने में मशगूल हो गया | इस बार अदला-बदली में उसको कुछ और नई तस्वीरें मिल गईं  और उन्हें भी उसने अपनी जेब में ठूंस लिया | आगे बढ़ने पर स्कूल से आगे अब वह पहाड़ी से नीचे की ओर उतरने लगा | उधर की सड़कें कुछ सुनसान थीं जिनके दोनों ओर ऊंचे-ऊंचे घने पेड़ थे, जिससे अँधेरा कुछ और बढ़ गया था |

रबर के जूते पहने जोए चुपचाप निरुद्द्येश्य आगे चलता जा रहा था | उसके हाथ उसकी जेब में रक्खी तस्वीरों पर थे, और वह आस-पास के मकानों में जली रोशनियों को देखता आगे बढ़ता जा रहा था | एक खड़ी कार के पीछे की ओर नीचे दुबकी बिल्ली पर उसकी नज़र पड़ी जिसकी आँखें पन्ना-जैसी हरी-हरी तेज़ चमकीं | नज़दीक आने पर उसकी ओर देखती हुई बिल्ली हलके-से भीतर और दुबक गई | जोए ने एक बार धीरे से पैर पटका और बिल्ली सुर्र से भागकर अँधेरे में गायब हो गई |

कुछ और मकानों को पार करते हुए जोए उन काले घने पेड़ों की ओर बढ़ा | अनजाने ही वह झुकी डालों और झुरमुटों की पत्तियां तोड़ता आगे चला जा रहा था | एक कोने पर मुड़ने के बाद वह फिर अचानक तेज़ कदमों से पीछे लौट पड़ा और एक छोटे-से पारचून की दूकान में घुस गया | एक पेनी में उसने एक और तस्वीर खरीदी जो गुलाबी मुलायम च्विंगम के साथ लिपटी मिलती थी | जल्दी से उसे खोलकर च्विंगम को तो उसने मुंह में डाला, और तस्वीर को बड़े ध्यान से देखने लगा | यह नई तस्वीर थी जो उसके पास नहीं थी | उसने सभी तस्वीरें फिर से अपनी जेब से निकालीं, और उस नई तस्वीर को उनमें मिलाकर हिफाज़त से जेब के हवाले किया | फिर जोर-जोर से च्विंगम चबाता वह दूकान से बाहर आ गया, और खूब चबाते-चबाते जब उसका सारा रस चूस लिया तो जोर से सांस खींचकर उसने ‘फुट’ से उसकी सिट्ठी को दूर फेंक दिया जो चकरघिन्नी खाती सड़क के किनारे चली गई |

आगे जाने पर पेड़ों का एक छोटा-सा झुरमुट था, जैसे इस इलाके में चारों ओर जहाँ-तहां बिखरे हुए और भी बहुत से झुरमुट थे | उधर अँधेरा भी ज्यादा घना था | ऊँचे-ऊँचे पेड़ों और घनी झाड़ियों के बीच के रास्ते पर जोए चुपचाप आगे बढ़ता जा रहा था | वहां आस-पास भी बहुत से ऐसे झुरमुट थे जहाँ की चीजें अब साफ़ नहीं दिखाई पड़ती थीं | झुरमुटों के बीच के संकरे रास्ते पर बड़ी सतर्कता से बढ़ते हुए वह अगल-बगल आँखें गडा-गडा कर देखता आगे चल रहा था |

तभी उसे एक दबी-सी खिलखिलाहट सुन पड़ी | वह एक दम रुक गया | उत्सुकता-भरी दृष्टि से वह चारों और देखने लगा | एक ओर की झुरमुटों की तरफ से ही वह आवाज़ आ रही थी | लेकिन उधर बिलकुल अँधेरा था |

जोए सांस रोक कर सुनता रहा | इधर-उधर चलने की उसको कुछ आवाज़ मिली | धीमी-धीमी कुछ फुसफुसाहट भी सुन पड़ी जिससे जोए की उत्सुकता और बढ़ गई | बिना कोई आवाज़ किये वह झुक कर उसी ओर धीरे-धीरे बढ़ने लगा, और जितना ही वह आगे बढ़ता उसके दिल की धड़कन तेज़ होती   जाती | इसी बीच न जाने कब उसकी जीभ उसके दांतों तले अपने-आप दब गई थी | नज़दीक होने पर आवाजें साफ़ होने लगीं | हंसी अब रुक चुकी थी | फुसफुसाहट भी धीमी और घबराई हुई लग रही थी |

जोए घुटनों पर हाथ टिकाए वहीँ रुक गया | तेज़ नज़रों से झुरमुटों के बीच वह चारों ओर देखते हुए धीरे-धीरे आगे सरकने लगा | झाड़ियों की डालें और पत्ते उसके बदन से लग कर चुपचाप दबती जा रही थीं, जैसे-जैसे अपनी सांस रोके वह कुछ और आगे बढ़ रहा था | उसके हाथ अब भी अपनी जेब पर थे  जिसमें उसकी सब तस्वीरें अब भी सुरक्षित थीं | अचानक वह ठिठक कर रुक गया | झुरमुट के आगे एक पेड़ था जिसकी डालें काफी नीचे झुकी हुई थीं | वहीँ उसी पेड़ की डाल के सहारे, उसने देखा, एक लड़का और एक लड़की अधलेटे खड़े एक दूसरे को चूम रहे थे | जोए झुरमुट के किनारे तक सरक गया जिसके बाद कुछ पथरीली ज़मीन थी | और वहीं उस पेड़ से लगे वे दोनों एक दूसरे के आगोश में बंधे थे | जोए तुरत धीरे-से वहीँ लेट गया और सांस रोके सब कुछ देखता रहा |

कुछ देर में दोनों के होंठ चुम्बन से अलग हुए, लेकिन वे एक दूसरे की बांहों में ही कसे रहे | जोए तुरत पहचान गया – ये तो हन्ना थी ! उसे बड़ा अचरज हुआ और तभी उसे याद आया वह तो हन्ना को ही ढूँढने निकला था, और माँ ने हन्ना को जल्दी घर लिवा लाने को कहा था | माँ की बात याद आते ही उसने चाहा की हन्ना से माँ की बात कहे, पर वह रुक गया और मंत्रमुग्ध सब कुछ देखता रहा | वे फिर एक दूसरे को चूम रहे थे – उसकी हन्ना दीदी और उन्हीं के पड़ोस का वह लड़का,जिसका नाम था बिग जैक और जिसे वह खूब जानता था | वे दोनों एक-दूसरे की बांहों में पूरी तरह कसे हुए थे, और उनका सारा बदन एक-दूसरे में बिलकुल गुंथा हुआ था |

एक बार फिर वे अलग हो गए और तब बिग जैक ने हन्ना के कानों में कुछ कहा | हन्ना ने सर झुका लिया, कुछ बोली नहीं | बिग जैक ने फिर उसे कस कर चूमा और अपनी बाहों में लेकर पेड़ के तने के सहारे लिटा दिया | उसके भारी बदन की ओट में हन्ना बिलकुल छिप गई | वह हन्ना पर झुक गया और जोए ने देखा, हन्ना की बाहें बिग जैक के चारो ओर लिपट कर, उसकी पीठ और गर्दन से बंध गईं | एक बार और एक हलकी-सी फुसफुसाहट हुई और फिर बिग जैक का हाथ धीरे-धीरे नीचे चलता गया और हन्ना के स्कर्ट को ऊपर उठाने लगा | स्कर्ट धीरे-धीरे ऊपर, और ऊपर उठता गया, और अब हन्ना की पूरी जांघें साफ़ दिखने लगीं – उजली-उजली और मांसल, एक दूसरे-से कस कर भिंची हुई |

जोए उसी झुरमुट में पड़ा यह सब कुछ देखता रहा | उसके अन्दर एक अजीब-सी गर्मी छाने लगी थी जिसे वह समझ नहीं पा रहा था और जो रुकने के बदले और बढती ही जा रही थी | अब सब कुछ देख लेने की भूखी-सी उसकी आँखें दर और घबराहट से फटी जा रही थीं | उसे मालूम था, या उसको लगा वह सब कुछ जानता है कि वे लोग क्या कर रहे थे | उसके दोस्त उसे बताते थे कि उनको इन सब बातों की जानकारी है कि यही है वह सब कुछ जिसे जोए अब फैली-फैली आँखों से देख रहा था | हन्ना कमर के नीचे बिलकुल नंगी थी | बड़ी मुश्किल से, बिलकुल न चाहते हुए भी, शर्म में डूबता-उतराता जोए वहां से अपनी आँखें हटा नहीं पाया | बिग जैक का पूरा शरीर हन्ना को ढंके हुए था और एक अजीब से लय  में हलके-हलके आगे-पीछे हो रहा था, बिना किसी आवाज़ के |

जोए ने अब अपनी आँखें मूँद लीं, बांहों में मुंह छिपा लिया और धीरे से अपना माथा ज़मीन पर
टेक लिया | उसे लगा, अब वह और कुछ देखना या जानना नहीं चाहता | उसकी आँखें खुलना भी चाहती थीं लेकिन वह उन्हें ज़बरदस्ती भींचे रहा | उसका  पूरा शरीर एक अजीब-सी जलन से सींझ रहा था   जैसे |

जोए दौड़ रहा था– झुरमुटों को चीरता - बेतहाशा दौड़े जा रहा था – रोता, सुबकता, अपनी जेब की तस्वीरों को जोर से पकडे हुए, जिनमें से बहुत-सी तस्वीरों की पत्तियां अब कहीं गिर कर, बिखर कर, खो चुकी थीं | और यह उसने तब जाना जब उस अँधेरे से निकल कर वह रोशनी में पहुंचा | पीछे मुड़ने पर जब उसने जेब टटोल कर देखा तो उसने पाया कि उसकी सारी तस्वीरें कहीं गिर कर खो चुकी थीं , अब हमेशा-हमेशा के लिए |

© मंगलमूर्त्ति

चित्र सौजन्य : कैरोलिन लोगन, फ्लोरिडा (यू.एस.ए.)

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