कविता का झरोखा : १०
ब्रिटिश नाटककार और कवि
हैरोल्ड पिंटर की सात कविताएँ
“कविता-लेखन के समय रचना-कर्म की आधारभूमि के विषय में मेरी चेतना बहुत धुंधली रहती
है, और सृजन कार्य अपने अनुशासन और नियमों के अनुसार स्वतः चलता है – एक प्रकार
से, मुझको एक माध्यम बनाकर |” - हैरोल्ड पिंटर, ब्रिटिश
नाटककार
1.मौत
लाश कहाँ मिली
लाश क्या मर चुकी थी जब मिली
लाश कैसे मिली
किसकी थी ये लाश
कौन था इस लाश का बाप या भाई या बेटी
या चाचा या बहन या माँ या बेटा
इस लावारिस लाश का
लाश मृत थी जब इसे फेंका गया था
क्या इसे फेंका गया था
किसने इसे फेंका था
यात्रा पर जाने के लिए लाश नंगी थी या कपड़ा पहने
किस आधार पर तुमने इस लाश को लाश घोषित किया
तुमने क्या इस लाश को एक लाश घोषित किया
कितनी अच्छी तरह तुम इस लाश को जानते थे
कैसे जाना तुमने कि यह लाश लाश है
क्या तुमने इस लाश को नहलाया
इसकी दोनों आँखें बंद कीं
इसको मिटटी में दफनाया
इसे क्या यों ही फेंक दिया
क्या तुमने इस लाश को चूमा
2.बूढी हो रही होगी मौत
बूढी हो रही होगी मौत
लेकिन उसकी ताकत बरक़रार है
वह तुम्हे निरस्त्र कर देगी
अपनी पारदर्शी रोशनी से
और कांइयां इतनी है वो
कि तुम्हें कुछ पता नहीं होगा
कहाँ तुम्हारे इंतज़ार में है वो
तुम्हारी इच्छा से बलात्कार करने को
और तुम्हें नंगा करने को
जब तुम तैयार हो रहे हो
हत्या करने को
लेकिन मौत तुम्हे छूट देती है
कि अपने घंटे तुम तय कर लो
जब तक वो चूसती है तुम्हारा सारा शहद
तुम्हारे सुन्दर सुन्दर फूलों से
[अप्रैल, २००५]
3.मुलाक़ात
रात लगभग मर चुकी है
पुराने मरे हुए सब देख रहे हैं
नए मरे हुओं को
उनकी ओर जाते हुए
हलके से धड़कता है दिल
जब मरे हुए गले मिलते हैं
उनसे जो बहुत पहले मरे थे
और उनसे जो हाल में मरे हैं
और उनकी ओर आ रहे हैं
वे रो रहे हैं और चूम रहें हैं
दुबारा मिलते हुए एक दूसरे से
पहली और आखिरी बार
[२००२]
4.अपनी पत्नी से
मैं मर चुका था और अब जी गया
तुमने जो मेरा हाथ थाम लिया
अंधा ही मरा मैं
तुमने जो मेरा हाथ थाम लिया
तुमने मरते हुए देखा मुझको
और पा लिया मेरा जीवन
तुम्ही थीं मेरा जीवन
जब मैं मर गया था
तुम्ही हो मेरा जीवन
इसलिए मैं जिन्दा हूँ
[जून, २००४]
5.देखने
वाला
एक
खिड़की बंद होती है और एक पर्दा नीचे होता है
रात
काली है और वो लाश की तरह स्थिर है
चाँदनी
का एक अचानक झोंका जैसे कमरे में आया हो
उसके
चहरे को रोशन करने – जो चेहरा मैं नहीं देख सकता
मुझे
मालूम है वो अंधा है
लेकिन
वो मुझको देख रहा है
[९ अप्रैल, २००७]
6.कविता
रोशनियाँ चमकती हैं|
अब क्या होगा?
रात घिर चुकी|
बारिश थम गई|
अब क्या होगा?
रात और घनी होगी|
वह नहीं जानता
मैं क्या कहूँगा उससे|
जब वह जा चुका होगा
उसके कान में मैं कुछ कहूँगा
मैं कहूँगा जो मैं कहना चाहता था
उस मुलाक़ात में जो होने को थी
जो अब हो चुकी है|
लेकिन उसने कुछ नहीं कहा|
उस मुलाक़ात में जो होनी थी
वह अभी केवल मुड़ा है मुस्कुरा कर
और फुसफुसाकर बोल रहा है:
‘मैं नहीं जानता
अब आगे क्या होगा|’
[१९८१]
7. भूत
मुलायम उंगलियाँ महसूस हुईं गले पर
मुझको
लगा कोई मेरा गला दबा रहा है
होंठ जितने कठोर थे उसके मीठे उतने
ही लगे
लगा कोई चूम रहा है मुझको
मेरे सभी मर्मस्थली हड्डियां टूटने
लगीं
मैंने उस दूसरे की आँखों में आँखें
गड़ा दीं
मैंने देखा यह मेरा कोई जाना चेहरा
था
एक चेहरा जितना प्यारा उतना ही
मनहूस
वह मुस्काया नहीं और न वह रोया
उसकी आँखें बड़ी-बड़ी थीं और चमड़ा
सफ़ेद
वह मुस्काया नहीं और न मैं रोया
मैंने बस हाथ उठाकर उसका गाल छुआ
[१९८३]
हेरॉल्ड
पिंटर [1930-2008] का रचना-काल 50 वर्षों
से अधिक में प्रसरित है, और यद्यपि वे बीसवीं सदी के प्रमुख नाटककारों में गिने
जाते हैं, प्रारम्भ में उन्होंने कविता-लेखन से ही अपना रचनात्मक जीवन प्रारम्भ
किया था | उनके एक नाटक ‘ऐशेज़ टू ऐशेज़’ (1996) का मेरा हिंदी अनुवाद
‘दोआबा’(पटना, जून,2010) में प्रकाशित हो चुका है|
उनके कई अन्य प्रसिद्ध नाटक हैं – ‘द रूम’,‘द बर्थडे पार्टी’,’द डंब वेटर’(1957),‘द होम कमिंग’ (1964), आदि| वे एक अत्यंत सफल नाटककार, निर्देशक एवं
अभिनेता भी थे | उनके नाटकों को कुछ समीक्षकों ने ‘कॉमेडी ऑफ़ मिनेस’ (‘आपदा की
कामदी’) अथवा ‘स्मृति नाटक’ भी कहा है | उन्होंने अपने नाटकों में एक-दो शब्दों के
निरंतर संवाद अथवा शब्द-हीन ध्वनि-हीन संवादों का बहुतायत से प्रयोग किया है |
उन्हें 2005
में साहित्य का नोबेल
पुरस्कार प्राप्त हुआ था| उनका श्वास-नली के कैंसर से २००८ में देहांत हुआ |
यहाँ ‘मौत’ नामक उनकी कविता
के लिए एक विशेष कलात्मक स्थापत्य जॉर्ज तोकाया द्वारा
रचित सात अस्पताल के बिस्तरों पर लिखी यह कविता है | तोकाया की कलात्मक प्रतिपत्ति
थी कि शाब्दिक संवाद भाषा का एक प्रतिरोध है | संवाद मुक्त प्रवाहित होने वाले
बिम्बों की एक अविच्छिन्न श्रृंखला होता है | तोकाया ने अपनी कृतियों में सदा
अभाषिक बिम्बों और दैहिक भाषा का प्रयोग किया जो पिंटर के नाट्य-प्रयोगों के
समानांतर ही एक कला-प्रयोग है | हेरॉल्ड पिंटर की कविताओं में भी यही सृजन-शिल्प
रूपाकृत होता है |
अधुनातन विश्व-साहित्य की कुछ अनूदित कविताओं, कहानियों, नाटक आदि की मेरी एक पुस्तक यथाशीघ्र प्रकाशित होकर आने वाली है | हिंदी और अंग्रेजी में मेरी कविताओं आदि की कुछ पुस्तकें मैंने अभी स्वयं प्रकाशित की हैं, आप मित्रगण उन्हें अमेज़न से मंगा कर पढ़ें |
यहाँ प्रस्तुत आलेख और अनुवाद (C) डा.मंगलमूर्ति
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