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Sunday, July 21, 2019







कविता का झरोखा : ३ 


ओ, प्रेयसि मेरी!

रॉबर्ट बर्न्स  
1759 – 1796

रॉबर्ट बर्न्स की कविताएँ स्कॉटलैंड के ठेठ ग्रामीण क्षेत्र की कविताएँ हैं, जो वहां की आंचलिक भाषा में लिखी गई हैं, जो अंग्रेजी का ही एक क्षेत्रीय रूप है | और इसीलिए इस मूल प्रेम-गीत में कई आंचलिक शब्द प्रयुक्त हुए हैं, जिनकी प्रतिच्छाया अनुवाद में नहीं लाई जा सकी है | बर्न्स का पूरा जीवन उसी ग्रामीण अंचल में एक किसान की तरह बीता था, और उसने अपनी कविताओं में उसी ग्रामीण आंचलिक जीवन की नैसर्गिक अनुभूतियों को रचा है | वह प्रारम्भ से अपने उस ग्राम्यांचल की पुरानी परम्पराओं, लोकगीतों और लोक कथाओं का अध्येता रहा, और अपनी कविताओं में उसने उसी आंचलिक लोक-जीवन की अनुभूतियों और वहां की प्राकृतिक सुषमा को  चित्रित किया है | बर्न्स की मृत्यु ३७ वर्ष की अल्पायु में ही हो गई थी, लेकिन अपने काव्य में स्कॉटलैंड के आंचलिक जीवन के चितेरा के रूप में बर्न्स को स्कॉटलैंड के ‘राष्ट्र-कवि’ के रूप में मान्यता प्राप्त है |
 
बर्न्स की यह कविता ‘मेरी प्रेयसी लाल-लाल गुलाब-सी है’ अंग्रेजी साहित्य में एक सर्वोत्तम प्रणय-गीत के रूप में विख्यात है, और हमारे यहाँ भी अंग्रेजी की सबसे लोकप्रिय कविताओं में इसकी गिनती होती है | अंग्रेजी के दो कवि विलियम ब्लेक और रॉबर्ट बर्न्स – रोमांटिक कवियों कीट्स, शेली, बायरन आदि से पहले की  पीढ़ी के कवि माने जाते है जिनका परवर्त्ती रोमांटिक कवियों पर स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है | लेकिन जहाँ ब्लेक की कविता बहुधा गूढ़ एवं गहन प्रतीकात्मकता से बोझिल-सी लगती है, वहीं बर्न्स की कविता  में पारंपरिक ग्राम्य-जीवन की सरलता एवं प्रकृति का सौन्दर्य स्पष्ट परिलक्षित होता है |

ओ, प्रेयसि मेरी !

ओ, प्रेयसि मेरी, लाल गुलाब की एक कली,
जो नई खिली हो अभी-अभी वसंत में तू,
ओ, प्रेयसि तू, एक मधुर गीत की धुन में ढली,
बिलकुल वैसी ही सुमधुर, अनुपम सुन्दर तू !

मेरी सुन्दरतम प्रियतमे, तू जितनी सुन्दर,
उतना ही गहरा प्रेम तुम्हारे प्रति मेरा,
तबतक मैं तुमको प्यार करूंगा ओ प्रेयसि.
जबतक यह बिलकुल सूख नहीं जाता सागर |

जबतक अथाह जलराशि रहेगी सागर में,
जबतक सूरज चट्टानों को पिघला पाता,
तबतक मैं तुझको प्यार करूंगा ओ प्रेयसि,
जबतक यह प्राण रहेगा मेरे अंतर में |

बिछुड़न भी होगी अगर कभी तुझसे प्रेयसि,
कुछ दिन की ही बिछुड़न होगी तेरी-मेरी,
मैं आऊँगा फिर वापस तेरे पास प्रिये,
चलना हो भले हज़ारों मील मुझे प्रेयसि |

[रॉबर्ट बर्न्स  की ‘ओ, मई लव ...’ कविता का अनुवाद एवं टिप्पणी (C) मंगलमूर्त्ति ]

O my Luve's like a red, red rose
That’s newly sprung in June;
O my Luve's like the melodie
That’s sweetly play'd in tune.
As fair art thou, my bonnie lass,
So deep in luve am I:
And I will luve thee still, my dear,
Till a’ the seas gang dry:
Till a’ the seas gang dry, my dear,
And the rocks melt wi’ the sun:
I will luve thee still, my dear,
While the sands o’ life shall run.
And fare thee well, my only Luve
And fare thee well, a while!
And I will come again, my Luve,
Tho’ it were ten thousand mile.

चित्र  १. बर्न्स का कॉटेज, आयर शायर, स्कॉटलैंड २. बर्न्स अपनी प्रियतमा के संग |  सौजन्य:गूगल 

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