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Sunday, March 23, 2025

 








प्रेम कविताएँ : ई ई कमिंग्स

अमेरिकन कवि ई ई कमिंग्स का आधुनिक अंग्रेजी कविता में अपना अन्यतम स्थान है | बीसवीं शताब्दी की अंग्रेजी कविता में काव्य-भाषा में उनके जैसा दुस्साहसिक प्रयोग - न पहले और न बाद में - किसी और कवि ने किया | कमिंग्स ने अंग्रेजी काव्य-भाषा का पूरा स्वरुप ही बदल दिया | अंग्रेजी के व्याकरण में शब्द-भेद, वाक्य-संरचना, विराम-चिन्ह-विचार आदि प्रकरणों में कमिंग्स ने ऐसे विलक्षण प्रयोग किये जिनसे अंग्रेजी काव्य-भाषा की प्रकृति ही बिलकुल बदल गई, और जिस नई काव्य-भाषा से एक सर्वथा नई पौध की काव्य-संवेदना का अवतरण हुआ | बीसवीं सदी की अंग्रेजी कविता में तो अनेक प्रकार के प्रयोग हुए जिनका एक नक्शा टी.एस. इलियट की ५-खण्डों वाली लम्बी कविता ‘वेस्ट लैंड (१९२२) में उभर कर आया | इस प्रतिक्रियावादी प्रयोगधर्मिता में कविता की परम्परागत प्रकृति और परिभाषा ही एक सिरे से बदल दी गई | इसका एक असर यह भी हुआ कि सच्ची कविता आम लोगों के जीवन से दूर हो गई – खुद भी बारहा इधर-उधर भटकने लगी - और आज तो  चारों ओर नकली कविता का दौर सस्ते कविता-मंचों और मुशायरों में चल ही  पड़ा है |

लेकिन अंग्रेजी में बीसवीं सदी में भी प्रेम-कविता बदस्तूर अपनी पतली पगडंडी पर चलती रही, जैसा कि कमिंग्स की इन कविताओं में देखा जा सकता है | और कमिंग्स की प्रेम-कविताओं में एक नई मांसलता, एक नई ऊष्मा जिसमें प्रेमसिक्त वासना का अकुंठ सौन्दर्य एक नई भाषा, एक नई मनोहारी भंगिमा में दीप्त होती प्रतीत होती है, कुछ खजुराहो की प्रस्तर-केलि-प्रतिमाओं की भांति | एक आलोचक के अनुसार प्रेम-कविता के क्षेत्र में कमिंग्स अपने समय के श्रेष्ठतम कवियों में परिगण्य है | हिंदी अनूदित कविताओं की यह श्रृंखला यहाँ उनके स्वतंत्र आस्वाद के लिए दी गई हैं, क्योंकि यहाँ वे एक प्रकार से अपनी भारतीय मौलिकता के साथ प्रस्तुत हुई हैं, जिनका आनंद मूल कविताओं की तरह लिया जा सकता है | इस प्रस्तुति का वास्तविक उद्देश्य है हिंदी-भाषी पाठकों को रू-ब-रू कराना अंग्रेजी कविता की प्रयोगवादी आधुनिकता के एक अन्यतम कवि की प्रेम-कविताओं से | इसी क्रम में कमिंग्स की इन अनूदित कविताओं के मूल अंग्रेजी पाठ भी आप मेरी एक संक्षिप्त आलोचनात्मक टिप्पणी के साथ मेरे अंग्रेजी के समानांतर ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं – 

murtymuse.blogspot.com

 

प्रेम-कविताएँ : ई. ई. कमिंग्स

१.

भूलने से कहीं ज्यादा गाढ़ा होता है प्यार

पर पतला होता है याद करने से

कभी-कभी होता है लहर से ज्यादा भींगा

लेकिन असफल होने से कहीं ज्यादा बार

 

ज्यादा पागल होता है चाँद जैसा

और नहीं होने से कुछ कम

समूचे सागर की तुलना में

जो केवल होता है सागर से भी गहरा

 

जीतने से ज्यादा होता है हर बार प्यार

और जीने से कभी नहीं कम

सबसे कम शुरुआत से भी थोडा छोटा

कम ही कूड़ा एक माफ़ी से भी

 

सूरज-ही जैसा और बहुत समझदार

और ज्यादा क्योंकि कभी मरता नहीं

सारे आसमान की तुलना में

जो बहुत ऊंचा होता है आसमान से भी  

 २.

मेरी प्यार

तेरे बाल एक राज-पाट हैं

अँधेरा जिसका राजा है

ललाट तेरा फूलों की उड़ान-जैसा है

और तेरा माथा है एक जल्दीबाजी का जंगल

सोती हुई चिड़ियों से भरा हुआ

 

तेरे स्तन हैं उजली मधुमक्खियों के छत्ते

जो तेरी देह की डाल पर टंगे हैं और

तेरा बदन अप्रैल का महीना है मेरे लिए

तेरी बाहों की बगल - आने वाले वसंत के मानिंद

और जांघें तेरी सफ़ेद घोड़ों जैसी

किसी राजा के रथ में जुते हुए

एक बाउल गायक के गीत जैसे

जिनके बीच में होता है वो प्यारा गीत  

 

प्रेम मेरे

तेरा माथा एक बक्स-जैसा है

जिसमें रखा है तेरे दिमाग का वह शीतल हीरा

और लड़ाकू सिपाही जैसे हैं तेरे सर के सारे बाल

जिनको पता ही नहीं हार होती क्या है 

और सेना जैसे हैं कन्धों पर लहराते तेरे बाल

जीत की दुन्दुभि बजाते हुए

तेरे पैर सपनों में खोये पेड़ जैसे

जिनके फल हैं भूल जाने के मिठास वाले

लाल वर्दी में सजे सिपाही हैं तेरे होंठ

जिनके चुम्बन में जैसे राजा मिलते हैं गले-गले 

पावन हैं तेरी ये कलाइयां

जो रखावालियाँ हैं जो थामे हैं तेरे लहू की चाभी

 

एडियों के ऊपर तेरे पावं

फूल सजे हैं जैसे चांदी के गुलदानों में

तेरे सौन्दर्य में बांसुरियों की वो उलझन है

और तेरी आँखों में गूँज हैं अगरु की सुगंध में 

बजती उन घंटियों की बेवफाई की ध्वनि की       

 

३.

मैं लेकर चलता हूँ तुम्हारा दिल                           

 

मैं लेकर चलता हूँ तुम्हारा दिल ( लेकर अपने

दिल में ) कभी उसके बिना नहीं (कहीं भी

जहाँ जाता हूँ, प्रिये, तुम साथ जाती हो, और जो

कुछ भी मुझसे होता है, तुम्हीं करती हो, मेरी प्राण)

          मैं डरता

नहीं किस्मत से (मेरी किस्मत तुम्हीं हो, मेरी प्रिये)

मुझे नहीं चाहिए दुनिया(क्योंकि सुन्दर हो मेरी दुनिया तुम, सचमुच मेरी)

और तुम्हीं हो चाँद जो भी वह होता है

और सूरज हमेशा जो भी गायेगा वह तुम हो

 

यही वह गहरा राज़ है जिसे कोई नहीं जानता

(यही है जड़ में जड़ और कली में कली

और आकाश का आकाश वह पेड़ जिसे जीवन कहते हैं; जो बढ़ता है

आत्मा से भी ऊपर जैसा वह चाहती है बढ़ना और मन चाहता है छुपाना)

और यही है वह जादू जो तारों को अलग-अलग करता है

 

मैं लेकर चलता हूँ तुम्हारा दिल ( लेकर अपने दिल में )

 

४.

महसूस कर लूं                                 

 

महसूस कर लूं बोला वह

(मैं चिल्लाऊंगी बोली वह

बस एक बार बोला वह)

मज़ा आता है बोली वह

 

(थोडा छू लूं बोला वह

कितना बोली वह

बहुत बहुत बोला वह)

हाँ क्यों नहीं बोली वह

 

 

(चलो चलते हैं बोला वह

बहुत दूर नहीं बोली वह

बहुत दूर क्या होता है बोला वह

जहां तुम हो बोली वह)

 

मैं क्या रुक जाऊं बोला वह

किधर को बोली वह

इसी तरह बोला वह

अगर तुम चूम लो बोली वह

 

मैं थोडा खिसकूं बोला वह

क्या ये प्यार है बोली वह)

अगर तुम्हारा मन हो बोला वह

(लेकिन तुम मार रहे हो बोली वह

 

पर यही तो जीवन है बोला वह

लेकिन तुम्हारी पत्नी बोली वह

अभी बोला वह)

ओहो बोली वह

 

(कमाल की है बोला वह

अब रुको मत बोली वह

अरे नहीं बोला वह)

अरे धीरे-धीरे बोली वह

 

हो गया? बोला वह

ऊँ-हाँ बोली वह

तुम एक देवी हो बोला वह

तुम बस मेरे हो बोली वह)

 

 

५.

तुम नई-नई

अच्छा लगता है ये तन मुझको

जब तुम्हारे तन के साथ होता है

सब कुछ जैसे बिलकुल नया हो जाता है

सारी मांस-पेशियाँ, सभी नसें

अच्छा लगता है तेरा तन मुझको

और जो कुछ ये करता है

इसका सब कुछ कैसे-कैसे

रीढ़ भी मुझको रुचती है तेरी 

तेरे बदन की सारी हड्डियां तक 

और इसकी सिहरन-भरी सारी फिसलन

जिसे मैं बार-बार, हर बार चूमता हूँ

अच्छा लगता है मुझको चूमना

तेरा यह और वह भी सब कुछ 

अच्छा लगता है उंगलियाँ फेरना मुझे 

उस बाल-जाल में, या उस त्वचा को अलगाना

जैसे बिजली को छूना, उसे सहलाना

और आँखों की वो प्यारी-प्यारी फांकें

और अच्छा लगता है वह सारा कम्पन

मेरे नीचे तुम इतनी नई-नई होकर

६.

प्यार एक जगह है

और प्यार की उस जगह से 

गुज़रता है सभी जगह 

शांति की रोशनी लिए-लिए

हाँ की एक दुनिया है

और उस हाँ वाली दुनिया में

रहती है बहुत करीने से

लिपटी हुई बहुत सारी दुनिया   

 

७.

प्यार के विषय में ( कौन

जानता है उसका मतलब;

या कैसे हो जाता है सपना

तुम्हारे ह्रदय का अपना)

मुझ लगता है घास का एक पत्ता

अपने आस-पास या दूर की सोचता है

(जब कविता बन रही होती है)

उसको तोड़ लेने के बारे में

यह आलिंगन या वह हंसी

दोनों का तुरत मतलब

जीवन अधूरा है(तब गहरे मौसम

से होकर या कुछ नहीं

हम सब कुछ महसूस करें

मन में मन

और तन में तन

सफल हों और गायब हो जाएँ     

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अनुरोध है आप यहाँ इन कविताओं पर अपनी टिप्पणी कृपया अवश्य अंकित करें |  

© डा. मंगलमूर्त्ति  

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